दिल्ली जहां एक तरफ वायु प्रदूषण से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ एक और हेल्थ प्रॉब्लम सामने आई है. दिल्ली में जापानी इंसेफ्लाइटिस का एक 'आइसोलेटेड' मामला दर्ज किया गया है.
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Japanese Encephalitis Case In Delhi: 'जैपनीज इंसेफेलाइटिस' को आम भाषा में 'जापानी बुखार' या 'दिमागी बुखार' भी कहा जाता है, वैसे तो इस बीमारी का प्रकोप भारत के कई राज्यों में देखने को मिलता है, लेकिन यूपी के गोरखपुर में ये खौफ का दूसरा नाम है. यहां हर साल कई बच्चों इससे पीड़ित होते हैं जिसमें से कई की मौत भी हो जाती है. हालांकि पहले के मुकाबले मौत के आंकड़े जरूर कम हुए हैं, लेकिन डर बना रहता है. इसके लिए बच्चों को वैक्सीन भी लगाई जाती है. अब देश के राजधानी दिल्ली में 2011 के बाद पहली बार जैपनीज इंसेफेलाइटिस का केस आया है. आइए जानते हैं कि आपको इससे डरने की जरूरत है या नहीं.
डेटा सोर्स-NCVBDC
दिल्ली में JE की एंट्री
दिल्ली जहां एक तरफ वायु प्रदूषण से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ एक और हेल्थ प्रॉब्लम सामने आई है. दिल्ली में जापानी इंसेफ्लाइटिस का एक 'आइसोलेटेड' मामला दर्ज किया गया है. यह मामला पश्चिमी दिल्ली के 72 वर्षीय व्यक्ति का है, जिन्हें 3 नवंबर को छाती में दर्द की शिकायत के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था.
सूत्रों के अनुसार, मरीज डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीज से पीड़ित था. इसके अलावा, उसे दोनों पैरों में कमजोरी और मल-मूत्र संबंधी समस्याएं भी थीं. मरीज को 15 नवंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
क्या है जापानी इंसेफ्लाइटिस?
जापानी इंसेफ्लाइटिस (JE) एक वायरल संक्रमण है, जो क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है. यह वायरस दिमाग को प्रभावित करता है और बुखार, सिरदर्द, उल्टी, भ्रम, मिर्गी और लकवे जैसे लक्षण पैदा करता है. यह बीमारी एशिया के ग्रामीण इलाकों में अधिक पाई जाती है, खासकर मानसून के दौरान, जब मच्छरों का प्रजनन अधिक होता है. 2024 में, इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में जापानी इंसेफ्लाइटिस के 1,548 मामले दर्ज किए गए. इनमें से 925 मामले असम से थे.
क्या है बचाव और इलाज?
जापानी इंसेफ्लाइटिस से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय है. 2013 से, केंद्रीय सरकार के यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत इस बीमारी के खिलाफ दो डोज का टीकाकरण अनिवार्य किया गया है. ज्यादा प्रभावित राज्यों में वयस्क टीकाकरण कार्यक्रम भी शुरू किया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी का कोई विशेष इलाज नहीं है और यह मानव-से-मानव संपर्क से नहीं फैलती. शुरुआती पहचान और सहायक उपचार से लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है.
क्या है खतरे की स्थिति?
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली में यह मामला 'आइसोलेटेड' है और घबराने की जरूरत नहीं है. नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) के दिशा-निर्देशों के तहत सभी पब्लिक हेल्थ उपाय लागू किए गए हैं. विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि मच्छरों से बचने के उपाय अपनाए जाएं, जैसे कि मच्छरदानी का उपयोग और पानी जमा होने से रोकना. दिल्लीवासियों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध लक्षण की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.